Tuesday, February 8, 2011

वसंत के पावन अवसर पर सभी को अनंत शुभकामनाएँ


या कुन्देन्दुतुषारहारधवला| या शुभ्रवस्तावृता|


या वीणावरदंडमंडितकरा| या श्वेतपद्मासना||

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभितिभिर्देवैःसदावंदिता|

सामांपातु सरस्वतीभगवती निःशेषजाड्यापहा||



सरस्वती को साहित्य, संगीत, कला की देवी माना जाता है । उसमें विचारणा, भावना एवं संवेदना का त्रिविध समन्वय है । वीणा संगीत की, पुस्तक विचारणा की और मयूर वाहन कला की अभिव्यक्ति है । लोक चर्चा में सरस्वती को शिक्षा की देवी माना गया है । शिक्षा संस्थाओं में वसंत पंचमी को सरस्वती का जन्म दिन समारोह पूर्वक मनाया जाता है । पशु को मनुष्य बनाने का - अंधे को नेत्र मिलने का श्रेय शिक्षा को दिया जाता है । मनन से मनुष्य बनता है । मनन बुद्धि का विषय है । भौतिक प्रगति का श्रेय बुद्धि-वर्चस् को दिया जाना और उसे सरस्वती का अनुग्रह माना जाना उचित भी है । इस उपलब्धि के बिना मनुष्य को नर-वानरों की तरह वनमानुष जैसा जीवन बिताना पड़ता है । शिक्षा की गरिमा-बौद्धिक विकास की आवश्यकता जन-जन को समझाने के लिए सरस्वती पूजा की परम्परा है। इसे प्रकारान्तर से गायत्री महाशक्ति के अंतगर्त बुद्धि पक्ष की आराधना कहना चाहिए ।


 वसंत ऋतु में मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास भरने लगते हैं। यूँ तो माघ का पूरा मास ही उत्साह देने वाला होता है, पर वसंत पंचमी का पर्व हमारे लिए कुछ खास महत्व रखता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी माँ सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है, इसलिए इस दिन मा शारदे की पूजा कर उनसे ज्ञानवान, विद्यावान होने की कामना की जाती है। वहीं कलाकारों में इस दिन का विशेष महत्व है। कवि, लेखक, गायक, वादक, नाटककार, नृत्यकार अपने उपकरणों की पूजा के साथ माँ सरस्वती की वंदना करते हैं।



Wednesday, January 19, 2011

विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर डाॅ.वेदप्रकाश दुबे (Dr.Vedprakash Dubey) की रेडियो वार्ता

डाॅ.वेदप्रकाश दुबे (Dr.Vedprakash Dubey) रेडियों स्टुडियों में  विश्व हिन्दी दिवस के विशेष संदर्भ पर 

रेडियो जोकी अमित के साथ डाॅ.वेदप्रकाश दुबे (Dr.Vedprakash Dubey) रेडियों स्टुडियों में।

हिन्दी साहित्य परिषद अतिथि व्याख्यान-माला-3


हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक  एवं अध्यक्ष डाॅ.वेदप्रकाश दुबे (Dr.Vedprakash Dubey) आयोजित विषय पर वक्तव्य करते हुए। साथ में  डॉ.  नीरा नाहटा


डा. नीरा नाहटा अतिथि व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए।

डा. नीरा नाहटा अतिथि व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए।




हिन्दी साहित्य परिषद अतिथि व्याख्यान-माला -2


हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं अध्यक्ष डाॅ.वेदप्रकाश दुबे (Dr.Vedprakash Dubey) अतिथि प्रस्तावना देते हुए।
साथ में प्रा. कन्नन एवं डॉ. मंजूला देसाई।


हिन्दी विभाग छात्रा  एवं हिन्दी साहित्य परिषद की महासचिव भारती यादव अतिथि परिचय देते हुए।

प्रा. कन्नन , डॉ. मंजुला देसाई एवं डाॅ.वेदप्रकाश दुबे (Dr.Vedprakash Dubey) 

प्रा. कन्नन , डॉ. मंजुला देसाई एवं डाॅ.वेदप्रकाश दुबे (Dr.Vedprakash Dubey) 

डाॅ.वेदप्रकाश दुबे (Dr.Vedprakash Dubey) विद्यार्थियों के साथ